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गुजरात (2) / मदन गोपाल लढ़ा
Kavita Kosh से
लौट आया हूँ
अपने गाव
अपने घर
पाँच सालों के प्रवास के बाद
गुजरात से।
लेकिन
जरूर कुछ
छूट गया है पीछे
अथवा आ गया है साथ
जाने-अनजाने।
क्या है वह ?
जो तड़पाता है अक्सर
बहा ले जाता है
यादों के रेले में
बवंडर की तरह
मचा देता है उथल-पुथल
अंतस में
बैठ गया है जमकर।
कहीं वह
गुजरात तो नहीं?