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गुड़िया की तरह / रंजना जायसवाल
Kavita Kosh से
मेरी नन्ही बच्ची
खेल रही थी
गुड़िया गुड़िया
गुड़िया के साथ गुड्डा भी था
अकडा बैठा कुर्सी पर
गुड़िया सेवा में थी
पका रही थी खाना
बिछा रही थी बिस्तर
दबा रही थी पैर
मैं हैरान हुआ –किसने सिखाया इसे यह सब
प्रगतिशील पिता मैं चीख पड़ा
कम पढ़ी पत्नी पर –‘क्या बनाएगी
अपनी तरह गंवार इसे। ’
पत्नी चुप रहती है गुड़िया की तरह
पकाती है खाना
बिछाती है बिस्तर दबाती है पैर
और लगी रहती है मेरी सेवा में
हमेशा की तरह।