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गुण गाहक / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
उड उड‘र
काळै कोसां स्यूं
पूगगी
भणकता भंवरा री भीड़
पण कोनी आई
पाड़ोसी कांटै नै
फूल री सौरभ !