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गोरी गोरी बिजुरी / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
गोरी-गोरी बिजुरी, कारे-कारे बदरा.
नन्हीं-नन्हीं बूंदों का गूंथ रहे गजरा.
गजरा खरीदने छोटी मुन्नी जाएगी.
रिब्बन वाली चोटियों में बाँधके सजाएगी.
आँखें मटकाएगी, करेगी खूब नखरा.
गजरा खरीदने बूढ़ी नानी जाएगी.
नाक-भों सिकोडके वापस आ जाएगी
"गजरे वाले अच्छा नहीं है तेरा गजरा".
गजरा खरीदने गिलू गिलहरी जाएगी.
कुट-कुट, कुट-कुट करके अपनी पूंछ हिलाएगी
पूंछ में उलझ रह जाएगा जी गजरा.
गजरा खरीदने चींची चाची जाएगी.
रस्ते के बीच थोड़ी धूप निकल आएगी
बूंदें उड़ जाएंगीं, उड़ जाएगा जी गजरा.