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घर वापसी / विस्साव शिम्बोर्स्का
Kavita Kosh से
वह लौटा। कुछ बोला नहीं।
पर यह ज़ाहिर था कि किसी वजह से दुखी है।
वह बिना कपड़े बदले बिस्तर पर लेट गया।
कम्बल अपने सर पर खींच लिया।
घुटने मोड़े और गुड़ी-मुड़ी होकर पड़ गया।
चालीस साल उसकी उम्र है, लेकिन इस वक़्त नहीं।
इस वक़्त उसका अस्तित्व है — जैसे अपनी माँ के गर्भ में
सात त्वचाओं के पीछे, एक सुरक्षित अन्धेरे में।
कल उसे अन्तर-आकाशगांगेय अन्तरिक्ष-यात्रा में
समस्थिति-नियमन* विषय पर भाषण देना है।
पर फ़िलहाल गुड़ी-मुड़ी पड़ा सो रहा है।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : असद ज़ैदी