भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चन्द्रमा / होर्खे लुइस बोर्खेस
Kavita Kosh से
वह सोना कितना अकेला है.
इन रातों का चाँद वह चाँद नहीं
जिसे देखा आदम ने पहली बार ।
लोगों के रतजगों की
लम्बी सदियों ने भर दिया है उसे
पुरातन विलाप से ।
देखो,
वह तुम्हारा दर्पण है ।