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चलेॅ स्कूल रे/ मनोज कुमार ‘राही’

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चलैंह बाबू चलैंह नूनू,
स्कूलवा के ओर रे,
चहे बकरी चरइहैं आरो गाय चरइहैं,
तइयो आइहैं स्कूल रे
चलैंह बाबू, चलैंह नूनू

घरवा में कामो करिहैं
चहे गिदरबुतरू खेलैहें,
समय निकाली केॅ नुनु
सांझबिहान पढ़िहें रे
चलैंह बाबू, चलैंह नूनू

पढ़ैलिखै के नुनू,
ढेरी छै गुावा रे,
थ्जनिगिया संवरिये जैतौ,
मिटी जइतौ सभ्भेॅ अवगुा रे
चलैंह बाबू, चलैंह नुनू

कŸोॅ सनी बच्चाबुतरू,
पढ़ीलिखी बड़ोॅ होय केॅ,
बनलै ऑफिसर रे,
इंजीनियर, डॉक्टर आरो मास्टर रे
चलैंह बाबू, चलैंह नूनू

यदि मन लगाय केॅ पढ़भैं,
रोजे स्कुलवा जैभैं,
नेता आरो, अभिनेता बनभैं
सेना के जवान आरो उन्नत किसान रे
चलैंह बाबू, चलैंह नूनू