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चलो चलो, भाई / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ

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हमें हमारे गाँव बुलाते
चलो चलो, भाई चलो चलो।
खेत और खलिहान बुलाते
चलो चलो, भाई चलो चलो
कहीं लिए, बैलो की जोड़ी
जोत रहा है भूमि किसान
बीज बो रहा कोई झुककर
रोप रहा है कोई धान।
जोतें बोएँ हम भी अपने
खेत चलो, भाई चलो चलो।
कहीं भरे तालाब कि जिसमें
नहा रहे बच्चे।
कहीं दूर मै
दान में जिसमें
खेल रहें हैं बच्चे।
कहीं दूर मैदान में जिसमें
खेल रहें हैं बच्चे।
हम बच्चे भी खेले चलकर
चलो चलो, भाई चलो चलो।
कहीं बाग में जामुन पकते
कहीं पकी है लीची
कहीं लटकते हुए आम की
दाल हुई है नीची।
पैसे देकर तोड़े, खाएँ
चलो चलो, भाई चलो चलो।
कहीं नीम मी डाल पड़े हैं,
जगह जगह पर झूले
बच्चे गाकर झूल रहे हैं,
अपनी सुधबुध भूले।
हम भी झूलें, गाएँ जी भर
चलो चलो, भाई चलो चलो।
हमें हमारे गाँव बुलाते
चलो चलो, भाई चलो चलो।