भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
चल ततइया ! / कुँअर बेचैन
Kavita Kosh से
चल ततइया !
काट तन मोटी व्यवस्था का
जो धकेले जा रही है
देश का पइया !
चल ततइया !
छोड़ मीठा गुड़
तू वहाँ तक उड़
है जहाँ पर क़ैद पेटों में रुपइया !
चल ततइया !!
डंक कर पैना
चल बढ़ा सेना
थाम तुरही, छोड़कर मीठा पपइया !!
चल ततइया !!