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चित्र / प्रेमजी प्रेम
Kavita Kosh से
हर किसी की
क्या मजाल
जो पढ़ ले
गा ले ।
संस्कार और सीख
जिसे मिलें होतें हैं
वे ही पढ़ सकते हैं-
मेरे बोल
गा सकते हैं मेरे अक्षर
इबारत बांचने से पहले
संस्कार से जुड़ो ।
फड पर मंडा
एक चित्र हूं मैं ।
अनुवाद : नीरज दइया