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चिरन्तन दम्पती / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’

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प्रकृति-पुरुष दम्पती चिरन्तन मिलित रस-भरित साओन-भादव!
नवल श्याम घन नभ-निकुंजमे कनक-गौरि चंचला संगमे
प्रणय-केलि रस भरल, तरल उर शत अनंग रुचि अंग-अंगमे
भक्त मयूर-वृन्द अभिनन्दित नृत्य-निरत नित प्रणय-उत्स नव
प्रकृति पुरुष दम्पती चिरन्तन मिलित रस-भरित साओन-भादव।।1।।

कालिन्दी - उपमित वर्षा-जल , नित नवीन दु्रम - श्यामल वन-पथ
नन्द-निदेश घनक ध्वनि पल पल राधा-माधव केलि-कुतुहल
जयतु प्रेम-रस रसिक हृदयगत ध्वनित जगत मधु प्रणय-बेणु रव
प्रकृति - पुरुष दम्पती चिरन्तन मिलित रस-भरित साओन-भादव।।2।।