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चेतावणी / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
ब्यांवतार पंखेरू
बणावै तिणकलां’र अळसैड़ै स्यूं
आपरो आळो
जद हुवै जापो
कोनी आवै दाई
कोनी जापायत नै
पींपळामोल’र अजवाण री जरूरत
जतै सेवै मादा इंडा
ल्यावै नर चुग’र दाणा
बै ही बीं रै सारू
मेवा’र मखाणा
पण भाजै मिनख
भोग री तिसणा रै लारै
कोनी बीं नै कुदरत पर भरोसो
खावै गरभ निरोधक गोळयां
करावैं भूण री हित्या
नाख दी साव सित्या
बणग्यो राकस
चावै अबाध भोग
ईं रो परिणाम एड्स रोग !
जे नहीं राखसी संजम
खा ज्यासी मिनख नै मिनख
कोनी झेल सकै धरती
अणचायो बोझ !