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जंगल का देखो हंगामा / दिविक रमेश
Kavita Kosh से
जंगल का देखो हंगामा
सत्ता और विरोधी दल से
लिए समर्थक तने हुए हैं
भालू भाई, हाथी मामा
भालू कहता इस हाथी ने
मेरे हिस्से का है खाया
हाथी कहता इस भालू ने
मेरे हिस्से का है खाया
खरहे का माथा चकराया
सोचा लेकिन समझ न आया
छोड़ के अपना क्यों दोनों ने
इसका उसका हिस्सा खाया
अपने अपने हिस्से का जो
खा लेते दोनों ये चारा
तो क्यों होता यह हंगामा
समय बीतता प्यारा प्यारा
बोली तब चालाक लोमड़ी
खुद समझो सबको समझाओ
खाकर किसी और का हिस्सा
उस पर ही आरोप लगाओ
मकसद है बस इनका खाना
राजनीति की यह सच्चाई
हाथी हो या भाई भालू
झूठी इनकी अरे लड़ाई।