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जंगल में जाएँ! / योगेन्द्र दत्त शर्मा
Kavita Kosh से
हिल-मिलकर चलें, आज
जंगल में जाएँ!
नन्हें खरगोशों से खूब करें यारी,
फिर उनके साथ करें शेर पर सवारी।
हिरनों के संग चलें,
दौड़ हम लगाएँ!
हाथी से हाथ मिला लड़ें जरा कुश्ती,
थोड़ी-सी कसरत हो मिट जाए सुस्ती।
दरियाई घोड़े को
बाँसुरी सुनाएँ!
चूहे को बनवा दें जंगल का राजा,
भालू से कहें-बजा जोरों का बाजा।
चीते को गदर्भ की
ताल पर नचाएँ!
कहें लोमड़ी से-चल, तू कोई काम कर,
चींटी से कहें कि-तू जाकर आराम कर;
जंगल की दुनिया को
तनिक गड़बड़ाएँ!