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जब भी कभी / ऋतु त्यागी
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					जब भी कभी 
कुछ अचानक घटित होगा हमारे आसपास 
तब हम अपनी
संवेदनाओं के तालाब में
एक कंकड़ फेकेंगे
और चुपचाप देखेंगे उसमें उठते हुये बुलबुले
फिर लौट आयेंगे थके मांदे
अपनी संवेदनाओं को सुलाकर
बासी दिनचर्या के पास।
	
	