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जब लड़की नहीं होगी / आभा पूर्वे

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सोचती हूँ
कल तितलियों के पंखों में
रंग कहाँ से आयेंगे ?
कैसे खिलेंगे फूल
सुने बिना तितलियों के गीत ?
कहाँ से आयेगाµ
नदियों की लहरों में संगीत ?
और कैसे बहेगें
घाटों के किनारे
पर्व-त्योहारों के सैकड़ों गीत
कैसे बजेंगे बाँस-वन
कैसे बजेगी बाँसुरी
और कैसे थिरकेगीं
हवाएँ
अपनी साँसों में चन्दन की
सारी खुशबू समेट कर
वसन्त कैसे दिखेगा
वृक्ष की ऊँची फुनगियों पर
बगीचे के पौधों पर
कहाँ से आयेगी
जाड़े की गरमाई गुलाबी धूप
जब
दोनों हाथों से
रस्सी के छोरों को पकड़े
तेज-तेज
उसे पाँवों के नीचे से
ऊपर तक उछालती
इन्द्रधनुष-सा वृत बनाती
यह लड़की
धरती पर ही नहीं रहेगी ?