भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जहाँ हरा होगा / विष्णु नागर
Kavita Kosh से
जहाँ हरा होगा
वहाँ पीला भी होगा
गुलाबी भी होगा
वहाँ गंध भी होगी
उसे दूर-दूर ले जाती हवा भी होगी
और आदमी भी वहाँ से ज्यादा दूर नहीं होगा।