भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ज़िंदा हैं ऑंखें अभी / जय चक्रवर्ती
Kavita Kosh से
ज़िंदा हैं ऑंखें अभी
रचनाकार | जय चक्रवर्ती |
---|---|
प्रकाशक | श्वेतवर्णा प्रकाशन, दिल्ली |
वर्ष | 2020 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | दोहा |
पृष्ठ | 104 |
ISBN | 978-93-90135-43-1 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।