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जागो बेटी बीती रात / सरोजिनी कुलश्रेष्ठ
Kavita Kosh से
जागो बेटा बीती रात
आया हँसता मधुर प्रभात
चलती शीतल मंद समीर
चहल-पहल नदिया के तीर
नहा रहे है लोग अनेक
सुबह नहाना जिनकी टेक
सूरज स्वर्णिम लाल
छाया है धरती पर नूर
हुये सभी सुख से भरपूर