भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

जिजीविषा / संगीता गुप्ता

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


हर सुबह
शुरू होती है
जद्दोजहद पांव की
अपनी ही
जमीन पर

और शाम
धंस जाती है
दलदल में
सिर से पैर तक

तभी घर लौटती है चिड़िया
दाना चोंच में लिए
और निढाल पड़ी वह
महसूस करती है
अपने पंखों का उगना