जीना / नाज़िम हिक़मत / कविता कृष्णापल्लवी
जीना
कोई हँसी-मज़ाक की
चीज़ नहीं :
तुम्हें इसे संजीदगी से लेना चाहिए ।
इतना अधिक और इस हद तक
कि, जैसे मिसाल के तौर पर,
जब तुम्हारे हाथ बँधे हों
तुम्हारी पीठ के पीछे,
और तुम्हारी पीठ लगी हो दीवार से
या फिर, प्रयोगशाला में अपना सफ़ेद कोट पहने
और सुरक्षा-चश्मा लगाए हुए भी,
तुम लोगों के लिए मर सकते हो —
यहाँ तक कि उन लोगों के लिए भी जिनके चेहरे
तुमने कभी देखे न हों,
हालाँकि तुम जानते हो कि
जीना ही
सबसे वास्तविक, सबसे सुन्दर चीज़ है ।
मेरा मतलब है,
तुम्हें जीने को इतनी
गम्भीरता से लेना चाहिए
कि जैसे, मिसाल के तौर पर, सत्तर की उम्र में भी
तुम जैतून के पौधे लगाओ —
और ऐसा भी नहीं कि अपने बच्चों के लिए,
लेकिन इसलिए, क्योंकि तुम मौत से डरते हो
तुम विश्वास नहीं करते इस बात का,
इसलिए जीना,
मेरा मतलब है, ज्यादा कठिन होता है ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : कविता कृष्णापल्लवी