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जीवन-सार / दीप्ति गुप्ता
Kavita Kosh से
उजला दिन अँधियारी रात
ये दोनों जीवन के साथ
उत्थान,पतन,अपमान-मान
रंगीन जश्न, सूना श्मशान
ढलता सूरज, उगता चाँद
कहता हमसे,यह लो मान
सुख-दुख जीवन के दो पहलू
एक आता, दूजा छुप जाता
इस चक्र में बँधा संसार
यह नियम,संसृति-आधार
पतझड़,मधुमास,ज्येष्ठ,आषाढ़
सर्दी में कोहरे की चादर
गर्मी में तारों की रात
घूम-घूम कर आती जाती
जीवन-मृत्यु, जीत और हार
तटस्थ भाव से जीना रहना
यही है, इस जीवन का सार!