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जूठा पत्तल / शिवबहादुर सिंह भदौरिया
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मुझमें
जो भोज्य है
उसे
अच्छी तरह चबाकर
गड़गड़ाहट उगलती बिनता मशीनें-
फेंक देती हैं
नींद के कूड़खाने में
जूठा पत्तल।