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जेब के फटे कोट / केदारनाथ अग्रवाल
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जेब के फटे कोट
अनफिट
तुम हो मुरदा
निर्वीर्य
निरर्थक
न किसी के
न अपने
देखने में सबके
रचनाकाल: २६-१०-१९६७