भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
जोख़िम / आनंद कुमार द्विवेदी
Kavita Kosh से
सोचता हूँ ओढ़ लूं
किसी की हर चुप्पी
हर इनकार
दूरी की हर कोशिश
और हो जाऊँ
उसी की तरह
एकदम सुरक्षित
प्रेम … एक जोखिम तो है ही !