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झिलमिलायौ सौनलियौ पुसब / वासु आचार्य
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					घणी ....दूर सूं-गूँज गूँज आई
कानां रै असवाड़ै पसवाड़ै
परभाती री-मधरी मधरी धुण 
अळसायै-अळसायै
खोल दी आँख्यां 
खर्राटा भरतै जंगळ
जागग्यौ-सूतौ जंगळ
झिलमिलायै
नीलै ताळ रै तळे
अँजळीभर-रगतबरण
सौनलियो पुसब
खिलखिलाई-ठंडी मधरी पून
बैयगी फुदकती
चिड़कली ज्यूं 
हरहराया-हिलौरा सूं 
हर्भर्या पेड़ 
थिरकण लागग्या 
लैर‘दार लैरिया-कैसरियां धौरा 
न्हांयलियौ रूं रूं
लै‘र लै‘र लैरावती
गंगारी लैर्या सागै
लै‘र लैर‘....
लै‘र लै‘र...
आज रौ दनुगौ
	
	