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झुठलाओ भी तो क्या / आभा पूर्वे
Kavita Kosh से
चन्दन की बेल
इस वृक्ष को विशाल
बना रही थी
यह सब कुछ था
बस एक छुवन के कारण
अब झुठलाओ भी तो क्या।