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टाबर - 3 / दीनदयाल शर्मा

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टाबर
कित्ता बोलै सांच
नीं जाणै
बणावटी बातां
जात-पांत

अर
भेदभाव भी
नीं जाणै
टाबर

स्यात जदी हुवै
टाबर
भगवान रौ रूप।