भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
टिन्नी जी! / रमेश तैलंग
Kavita Kosh से
टिन्नी जी! ओ टिन्नी जी!
ये लो एक चवन्नी जी।
बज्जी से प्यारा-प्यारा,
लाना छोटा गुब्बारा।
ऊपर उसे उड़ाएँगे,
आसमान पहुँचाएँगे।
टिन्नी जी! ओ टिन्नी जी!
ये लो एक चवन्नी जी।
बज्जी से ताज़ी-ताज़ी,
लाना पालक की भाजी।
घर पर उसे पकाएँगे,
साथ बैठकर खाएँगे।
टिन्नी जी! ओ टिन्नी जी!
ये लो एक चवन्नी जी।
जल्दी से बज्जी जाना,
एक डुगडुगी ले आना।
डुग-डुग उसे बजाएँगे,
मिलकर गाने गाएँगे।