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टिशु नैपकिन / पूनम सूद
Kavita Kosh से
कैन्टीन में कॉफी पीते हुए
वहाँ टेबुल पर रखे
टिशु नैपकिन पर तुम
अपने बॉलपेन से
अक्सर मेरा स्कैच बनाया करती थी;
तब मैं तुम्हारी कोख में पड़ा
तुम्हारी बेतरतीब ड्राइंग देखकर
खूब हंसता था
मेरे जन्म पर, मुझे अपने
स्कैच जैसा असामान्य पाकर
तुम हो गयी निराश
और टिशु नैपकिन की तरह
वहीं छोड़ गई
मुझे ऐबस्ट्रेक्ट पीस ऑफ आर्ट समझ कर,
घर तो ले जाती
शायद
कभी तुम्हें समझ में आ जाता मैं