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ठिठका देता है / संतोष श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
रिमझिम रिमझिम
बरखा के बीच, झील पर
हम दोनों नाव में
हसीन लम्हों की छुअन संग ठिठकी है नाव
आडी झुकी बेंत की डाल से
ठिठका देता है
कितना कुछ इसी तरह
जब हम होते हैं साथ