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ठूँठ रा लोग / आशा पांडे ओझा
Kavita Kosh से
इतिहास रा पानड़ा
खुंजिया अर खाकां माय
दाबियोड़ा
जाणे किता क जलम
भेर फुंगीजता रेइ
ए ठूँठ रा लोग
जाणे क्यूं कोनी आवै
एणी हमज में
इतिहास बणण अर बणाण खातर
कुरबान करणा पडै है
वरतमान रा छिण-छिण
जिका री तो
कोई नै गिंनर इ कोनी
मरियोड़ा साँप री
लकीर कूटता
खुद रे इज पगां माथे
डांग बजा रिया है
ठूँठ रा लोग