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तन को तरसाइबो कौने बद्यौ / ठाकुर
Kavita Kosh से
तन को तरसाइबो कौने बद्यौ, मन तौ मिलिगो पै मिलै जल जैसो।
उनसैं अब कौन दुराव रह्यो, जिनके उर मध्य करो सुख ऐसो॥
'ठाकुर या निरधार सुनौ, तुम्हैं कौन सुभाव परयो है अनैसो।
प्रानपियारी सुनौ चित दै, हिरदै बसि घूंघट घालिबो कैसो॥