तपेदिक / पवन करण
दुनिया भर में फिर से तपेदिक के लौटने की ख़बर ने
खटखटा दी हैं लोगों की छातियाँ
ख़बर ने लोगों को दिला दिए हैं याद
उन्हें अपने वे प्रियजन तमाम
जिन्होंने घुट-घुटकर लगातार
खाँसते, थूकते और उगलते हुए
मुँह से ख़ून के थक्के कालांतर में तोड़ा दम
लोगों मे फेफड़ों में फिर से उन कीटाणुओं के
सक्रिय होने के अहसास को कर दिया है तेज़
जो उनके पुरखों की छातियों से निकलकर
बस गए उनकी भी छातियों में
और इस तरह मरने के बाद भी पुरखे
अपनी नस्लों में रहे जीवित
दुनिया भर के फेफड़ों में खलबली मचाती
इस ख़बर की असलियत रिपोर्ट में नहीं
इससे जूझती ज़िन्दगी में झाँकने पर चलेगी पता
कि तपेदिक गया ही कहाँ था
जो कही जा रही है
उसके लौटने की बात
दवाइयाँ खा लेना, दवाइयों का
तपेदिक को खा लेना नहीं
दवाइयाँ अकुशल दर्ज़ियों की तरह जैसे-तैसे
बस फेफड़ों को सिल पाती हें
और उनकी ये कच्ची-पक्की सिलाइयाँ
उन्हीं के अभाव में अकसर खुल जाती हैं