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तव प्रणति में हूँ / राजेन्द्र वर्मा
Kavita Kosh से
तव प्रणति में हूँ,
आत्मरति में हूँ।
हृद मेरा विस्तृत,
मैं सुमति में हूँ।
दीखता हूँ स्थिर,
किन्तु गति में हूँ।
काव्य की लय हूँ,
गति में, यति में हूँ।
बन्ध बहुतेरे,
पर, प्रगति में हूँ।