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तसवीर देखना / रघुवीर सहाय
Kavita Kosh से
एक दिन अपने
आप बनी हुई पंक्ति में
बैठे हुए कुछ लोग
इंतज़ार करते थे
मैंने उनकी फ़ोटो
खींच ली
वह सीधी पीठ वाली
बड़े जूड़े की रेखा
और तमाम अनजाने
लोग साफ़-साफ़ आए
फिर कभी फ़ोटो निकाल कर
देखूँगा
अपना बेगानापन
पहचानने के लिए