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तानाशाह / माया मृग

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तुमने कहा, क-से कबूतर
मैंने कबूतर रटा
तुमने कहा, क-से कविता
मैंने कविता कहा।
हँसता देख-तुमने कहा
बहुत उदास हो ? मैं रो दिया।
क्षुब्ध चेहरे पर नजरें गड़ा
तुम बोलीं आज बहुत खुश हो !
मैं हँस दिया।
तुमने चलो कहा-मैं चला
रूको कहा-मैं रूका।
तुम कहती हो,
पुरूष सिर्फ अधिकारी चाहता है,
‘तुम भी तानाशाह हो।’
मुझे कुछ पता नहीं,
मैं क्या हूँ-क्या नहीं।
इससे पहले कि मैं
तुम्हारे मिटने के आदेश पर
मिट जाऊँ-मुझे बता तो दो
ये तानाशाह क्या होता है ?