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तानाशाह और तितली / प्रेमचन्द गांधी

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( हिटलर की जीवनी पढ़ते हुए )


न जाने वह कौनसा भय था
जिससे घबराकर वह बेहद खूबसूरत तितली
तालाब के पानी में गिर पड़ी
भीगे पंखों से उसने उड़ने की कोशिश की
लेकिन उसकी हल्की कोमल काया
पानी पर बस हल्की छपाक-छपाक में ही उलझ गयी

किनारे पर की गंदगी में अनेक जीव थे
जो उसे खा सकते थे
लेकिन नन्ही तितली की चीख उनके कानों तक नहीं पहुँची
तितली ने ईश्वर से प्रार्थना की
ईश्वर ने भविष्य के तानाशाह की आँखों को
तितली की कारूणिक स्थिति देखने को विवश किया
छटपटाती तितली को देखकर उसका मन पसीज गया
उसे तैरना नहीं आता था
फिर भी वह पानी में कूद पड़ा

बड़े जतन के बाद वह तितली को बचाकर लाया
गुनगुनी धूप में तितली जल्द ही सूखकर उड़ने लगी
भविष्य के तानाशाह के कन्धे पर
वह तमगे की तरह बैठी और बाग़ीचे की तरफ उड़ चली

भविष्य के तानाशाह को तितली बहुत पंसद आई
अगले दिन से उसने सफाचट चेहरे पर
तितली जैसी सुंदर मूंछें उगानी शुरू कर दीं

                         
उस तितली के उसने बहुत से चित्र बनाये
उसकी भिनभिनाहट की उसने
कुछ सिम्फनियों से तुलना की
जिस दिन तानाशाह की ताजपोशी हुई
तितलियाँ बहुत घबरायीं
अचानक वे एक दूसरे राष्ट्र में जा घुसीं

तानाशाह ने तितलियों की तलाश में सेना दौड़ा दी
सैनिकों ने तलाशी के लिए
रास्ते भर के फूल
अपने टोपियों और संगीनों में टाँग लिये
लेकिन तितलियाँ उन्हें नहीं मिलीं

तानाशाह ने इस विफलता से घबराकर
तितलियों की छवियाँ तलाश की
जिन सुंदर पुस्तकों में तितलियाँ
और उनके सपने हो सकते थे
वे सब उसने जलवा डालीं
जहाँ कहीं भी तितलियों जैसी
खूबसूरत ख़्वाबजदा दुनिया हो सकती थी
वे सब नष्ट करवा डालीं

अपने आखि़री वक़्त में तानाशाह
पानी में डूबी तितली की तरह चीखा
लेकिन उसे बचाने कोई नहीं आया
जिस बंकर में तानाशाह ने मृत्यु का वरण किया
उसके बाहर उसी तितली का पहरा था
जिसे तानाशाह ने बचाया था.