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तीतर / श्रीधर पाठक
Kavita Kosh से
लड़को, इस झाड़ी के भीतर,
छिपा हुआ है जोड़ा तीतर।
फिरते थे यह अभी यहीं पर,
चारा चुगते हुए जमीं पर।
एक तीतरी है इक तीतर,
हमें देखकर भागे भीतर।
-साभार: मनोविनोद, 35
आओ, इनको जरा डराकर,
ढेला मार निकालें बाहर।
यह देखो, वह दोनों भागे,
खड़े रहो चुप, बढ़ो न आगे।
अब सुन लो इनकी गिटकारी,
एक अनोखे ढंग की प्यारी।
तीइत्तड़-तीइत्तड़-तीइत्तड़-तीइत्तड़,
नाम इसी से इनका तीतर।