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तुम्हारा मौन / सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

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तुम्हारे
पतले होंठों के नीचे
एक तिल है

गोया ईश्वर की ओर से
एक कील जड़ी हुई,

जो तुम्हारे
हर मौन को
अलौकिक बनाता है ।