भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

तुम्हारे प्यार की ख़ुशबू / किरण मिश्रा

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रात भर बारिश में,
ऐसे भीगा मोगरा

जैसे भीगता है मन मेरा
तुम्हारे प्यार में
और खिल-खिल-सा जाता है ।

मैंने उस मोगरे की
बना ली है वेणी
और टाँक लिया है जूड़े में

इस तरह महकती रहती हूँ
तुम्हारे प्यार की ख़ुशबू में ।