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तुम्हारे हाथ / पंकज सुबीर
Kavita Kosh से
तुमने प्यार से मेरे माथे को चूमा
फिर मेरे बालों को धीरे-धीरे
उँगलियों से सुलझाया
मेरा सारा शरीर तुम्हारे स्पर्श के
एहसास में खोया था
तुमने मेरा हाथ अपने हाथों में ले लिया
धीरे धीरे उसे सहलाया
शायद कोई छाला था मेरी हथेली पर
जिसे तुम्हारी उँगलियाँ देर तक
चिंतित सी बार बार छूती रहीं
मैंने करवट ले ली
तुम्हारे हाथ मेरी पीठ को सहलाने लगे
मुझे पता ही नहीं चला
मैं कब गहरी नींद में खो गया
तुम्हारे हाथों में कोई जादू है क्या
माँ।