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तुम्हें हँसता देखकर / विष्णु नागर

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तुम्हें हँसता देखकर
अचानक यह दुष्ट खयाल आया
कि तुम रोते हुए कैसी लगोगी

और तब भी मैंने तुम्हें हँसते हुए पाया!