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तुम्हे ज्ञात है / विजय वाते
Kavita Kosh से
सौ बातों की एक बात है|
जो भी सच है तुम्हें ज्ञात है|
कस्मे वादे, सुलह सफाई,
खुराफात ही खुराफात है|
विश्वासों के दीप जलाओ,
वर्ना दिन भी घनी रात है|
दीवाने ही इश्क करेंगे,
इन पहलों की इक जमात है|
तीखे शेर ग़ज़ल के हैं,
रंग नया है नई बात है|
"विजय" तुम्हारा नाम पुराना,
नए हैं तेवर, नई बात है|