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तुम मिलीं तो ज़िन्दगी को / उर्मिलेश
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तुम मिलीं तो ज़िन्दगी को
मैं समय से मिल गया।
तुम न मिलतीं तो
भ्रमों के जाल बुनती ज़िन्दगी,
दूर घर से
होटलों के गीत सुनती ज़िंदगी;
तुम मिलीं तो ज़िन्दगी को
मिल गया ज्यों घर नया।
तुम मिलीं तो ज़िन्दगी को
मिल गईं रस्में नई,
एक संज्ञा से अचानक
जुड़ गए रिश्ते कई;
प्यार / श्रद्धा / आस्था सब मिल गए
अब और क्या?
छू लिए तुमने ह्रदय के
अनछुए सीमांत भी,
जब कुटिल 'रेखा' खिंची
'अमिताभ' के मन पर कभी
तुम उसे अपदस्थ कर
मुझको मिलीं बनकर 'जया' ।