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तूतनख़ामेन के लिए-13 / सुधीर सक्सेना

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बत्तीस सौ साल तक

सोता रहा तूतनख़ामेन


न उसे भूख ने सताया

न प्यास ने ।


कल को जानने की बात की थी

महान फराओह ने

मंत्रियों-सभासदों के बीच


कल नहीं आया

तूतनख़ामेन का

बत्तीस सौ साल तक


इंतज़ार करता रहा

तूतनख़ामेन

सोने के ताबूत में लेटा


कल आया करोड़ों लोगों की ज़िन्दगी में,

कल आया नील नदी के दोनों तटों पर,

कल आया प्राचीन काहिरा नगर में बार-बार,

कल आया मिस्र के इतिहास में सैंकड़ों बार,


बत्तीस सौ साल तक

इन्तज़ार करता रहा

अभागा तूतनख़ामेन


वक़्त ठहर गया

राजाओं की घाटी में

कल नहीं आया


बस, एक जगह

कल नहीं आया--

कल नहीं आया

मक़बरे में तूतनख़ामेन के


--इन्तज़ार करता रहा तूतनख़ामेन

आगामी कल का ।