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तूतनख़ामेन के लिए-23 / सुधीर सक्सेना

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कहो तो

तूतनखामेन !

अगर अचानक नींद खुल जाए तुम्हारी

और ख़ुश्क हो तुम्हारा हलक


तो कौन सी

जुबान में तुम

मांगोगे पानी ?


भूख लगी हो

तुम्हें बेतरह

तो किस जुबान में मांगोगे

मनपसन्द व्यंजन ?


लो मैं

मैं देता हूँ तुम्हें

तुम्हारी वही जुबान


ताकि तुम पुकार सको

तुम पुकार सको

उसे, जो चली गई है

हमेशा के लिए

तुम्हारी जुबान के

दायरे से दूर ।