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दिल्ली कहती है / विष्णु नागर
Kavita Kosh से
मैं जब काबुल गया तो मुझे काबुल से प्रेम हो गया
लखनऊ गया तो लखनऊ से
आजकल मैं कहीं नहीं जा रहा
तो मुझे दिल्ली से प्रेम होने लगा है
और दिल्ली कहती है
क्या हो गया है तुझे
आजकल तू कहीं आता-जाता क्यों नहीं!