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दिल टटोलो / ‘हरिऔध’
Kavita Kosh से
क्या न होता है उसमें दिल उजला।
मैले कपड़े से क्यों झिझकते हो।
देख उजला लिबास मत भूलो।
दिल मैला कहीं न उसमें हो।1।
जो न सोने के कन उसे मिलते।
न्यारिया राख किसलिए धोता।
मत रुको देख कर फटे कपड़े।
लाल गुदड़ी में क्या नहीं होता।2।
है किसी काम का न रंग गोरा।
जो दिखाई पड़ा हृदय काला।
है बड़ा ही अमोल काला रँग।
मिल गया हो हृदय अगर आला।3।
क्या हुआ उच्च वंश में जनमे।
जो जँचा जी में पाप का कूँचा।
नीच कुल का हुए न कुछ बिगड़ा।
जो हृदय हो महान औ ऊँचा।4।
कब भला ठाट है अमीरी का।
ऐंठ जिसमें विकाश है पाती।
सादगी है कहीं भली, जिसमें-
है सुजनता झलक दिखा जाती।5।