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दिवलै री शिखा / कन्हैया लाल सेठिया

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ऊबी सिर पर
ले चिणगारी
शिखा- पदमणी राणी,
कथा-व्यथा जौहर री परतख
आ सागी सैनाणी,
कोनी छूणै सक्यो कदेई
कायर कुटिल अन्धेरो,
ओ खिलजी बो
हार उठायो
गढ चितौड़ रो घेरो !